हिन्दी के हत्यारे




मध्य प्रदेश के मुख्य मन्त्री शिवराज सिंह चौहान समझ रहे होंगे कि वे मध्य प्रदेश को स्वर्णिम मध्य प्रदेश बना रहे हैं। लेकिन यह चित्र कह रहा है कि वे फौरन ही मध्‍य प्रदेश  को छोड दें -  वे केंसर बन गए हैं। केंसर ही नहीं, ‘अनुपम केंसर’ बन गए हैं। अब भला कोई रोग,  किसी व्‍यक्ति या प्रदेश को कैसे निरोग कर/रख सकता है? लिहाजा, शिवराज यदि सचमुच में मध्‍य प्रदेश का भला चाहते हैं, सचमुच में चाहते हैं कि मध्‍य प्रदेश स्‍वर्णिम बने तो महरबानी करें और मध्‍य प्रदेश का पिण्‍ड छोड दें। मध्‍य पद्रेश बचा  रहेगा तो तब ही तो स्‍वर्णिम बन सकेगा?

समाचार में नजर आ रहा समाचार शीर्षक, वस्तुतः एक समाचार शीर्षक का पहला, आधा हिस्सा है। पूरा शीर्षक था - ‘मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह नवोदय केंसर हास्पिटल का उद्घाटन करेंगे।’ किन्तु चैनल ने अपनी सुविधानुसार इसे दो हिस्सों में बाँट दिया और शिवराज सिंह चौहान को ही ‘अनुपम केंसर’ बना दिया।

सोमवार, 04 मार्च की पूर्वाह्न साढ़े ग्यारह बजे से 05 मार्च मंगलवार की शाम तक, तैतीस लोगों को मैंने यह चित्र दिखाया। किसी को रास्ते चलते रोक कर, किसी के पास खुद पहुँच कर और किसी को, यूँ ही बैठे हुए। अधिकांश तो समझ ही नहीं पाए कि यह चित्र मैं उन्हें क्यों दिखा रहा हूँ। सबने उड़ती नजर से देखा और देख कर रह गए। सात लोगों ने सीधे-सीधे पूछा - ‘आप कहना क्या चाहते हैं?’ कुल दो ने अचरज जताया - ‘यह तो बड़ी गम्भीर बात है!’

यह चित्र, मैंने, (04 मार्च को) ई टीवी मध्य प्रदेश समाचार चैनल से लिया है-जैसा कि चित्र में नजर आ रहा है, पूर्वाह्न दस बजकर चौदह मिनिट पर। कम से कम पाँच बार तो मैंने इसे देखा ही। 

भाषा के प्रति हमारी असावधानी और गैरजिम्मेदारी का यह एक छोटा सा उदाहरण है। हिन्दी के साथ हम, कितनी सहजता से अत्याचार किए जा रहे हैं, उसका नमूना है यह।

सारे हिन्दी अखबार और समाचार चैनल यह दुष्कृत्य किए जा रहे हैं। इनमें से किसी को भी, एक क्षण भर को भी अपने इस दुष्कृत्य के प्रति सजग या चिन्तित नहीं देखा।

ये सबके सब हिन्दी के अखबार और चैनल हैं। हिन्दी से अपनी-अपनी दुकानें चला रहे हैं। हिन्दी से रोटी, पैसा, प्रतिष्ठा, पहचान और हैसियत हासिल कर रहे हैं। अपनी-अपनी टीआरपी और प्रसार संख्या की चिन्ता सबको है। चिन्ता नहीं है तो बस, हिन्दी की नहीं है। न तो इसकी अस्मिता की चिन्ता, न व्याकरण की, न वाक्य रचना की, न ही वर्तनी की शुद्धता की।

कठिनाई यह है कि चैनल घर-घर में खुलता/चलता है - एक ही समय पर, एक साथ। अखबार घर-घर में पड़े रहते हैं और पढ़े जाते हैं - पूरे दिन भर, अपनी-अपनी सुविधा से। याने, बाढ़ कहें या स्खलन, एक साथ आ रहा है। रोज आ रहा है। जैसे-जैसे आ रहा है, वैसे-वैसे स्थिति गम्भीर होती जा रही है और वैसे-वैसे ही, मरम्मत या सुधार की आवश्यकता भी दिन-प्रति-दिन बढ़ती जा रही है। किन्तु ध्वंस तो एक क्षण, एक ही समय में, बहुत बड़े क्षेत्रफल में हो जाता लेकिन मरम्मत में समय लगता है और ध्वंस की तरह मरम्मत, प्रभावित क्षेत्रफल में एक साथ न तो की जा सकती है और न ही हो पाती है। मरम्मत/सुधार एक-एक घर में करना पड़ता है और वह धीरे-धीरे होता है। इसके लिए आवश्यक समय, श्रम, संसाधन और धैर्य किसके पास?

इसी चैनल पर, बीबीसी से लिए गए समाचार भी देखने को मिलते हैं। उन समाचारों की हिन्दी सचमुच में हिन्दी होती है। अंग्रेजी के शब्द उसमें अपवादस्वरूप ही प्रयुक्त किए जाते हैं। क्या रोचक विरोधाभास है कि अंग्रेजी की जमीन से आनेवाले समाचारों में हिन्दी का ध्यान रखा जाता है और हिन्दी की जमीन से प्रसारित किए जा रहे समाचारों में जानबूझकर अंग्रेजी की घालमेल की जाती है - मानो ये सब अंग्रेजी के चैनल हों जिनके लिए हिन्दी कोई परदेसी, अपरिचित भाषा हो।

हिन्दी इन सबको पाल रही है और ये सबके सब मिलकर हिन्दी को मार रहे हैं।

मैथिलीशरणजी गुप्त ने ठीक ही कहा था - पूत, कपूत हो सकता है। माता, कुमाता नहीं होती।

10 comments:

  1. Bhaiji ! Aise hi tathaakathit Hindi-seviyon ne bade-bade Hindi-sevi Mahaasangh banaa rakhe hain .

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  2. आपने सही कहा है और एक गंभीर मुद्दे को उठाया है !!
    आभार !!

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  3. धीरे धीरे समझ आयेगी, हम भी समीक्षा कर रहा हूँ..

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  4. आजकल की सारी मीडिया का यही रवैया है हिन्दी के प्रति, लगता है कि हिन्दी भाषा के लिये कोई गंभीर ही नहीं है, चालू शब्दों का उपयोग कर उन्हें देशज शब्द करार भी दे दिया जाता है ।

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  5. आपकी चिंता बिल्कुल सही है। ये व्यावसायिक चैनल वाले इतना तो कमाते ही हैं कि कम से कम पच्चीस तीस हज़ार में एक हिंदी सेवी रख लें जो कार्यक्रमों में जा रही हिंदी की पंक्तियों पर नज़र रख सके। इन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि टीवी आज घर-घर की जरूरत बन चुका है। जैसे हम लोगों ने भाषा के संस्कार अखबारों से सीखे हैं, वैसे ही आजकल के बच्चे टीवी से सीख रहे हैं ।

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  6. ये राष्ट्रीय मुख्यधारा का मीडिया है

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  7. अखबारों की स्थिति और गंभीर है-सारे अखबार हिंगलिश हो गए है,भास्कर के साथ DBStar नई दुनिया के साथ Inext जिसमे हिन्दी कम और इंग्लिश मे ज़्यादा लिखा जाता है । ये वर्णशंकर अखबार आपने आप को श्रेष्ठ मानते है । हिन्दी फिल्म वालों ने तो सत्यानाश कर दिया है-गाने के बोलों मे हिंगलिश शब्द,फिल्म के टाइटल मे हिंगलिश शब्द ।

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  8. गजब की जानकारी

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  9. Why not teach Hindi in India's simplest Nukta and Shirorekha free Gujanagari Script?
    If Hindi can be written in Urdu or in Roman script why it can't be done in Gujanagari script?

    All languages derived from Brahmi are equal in the eyes of Indian people.However as per Google transliteration, a Gujanagari script is India's simplest script next to Roman script resembling old Brahmi Script.

    In order to maintain two languages script per state, People may learn Hindi in their state language script through script converter or in Roman script.

    Most who try to promote Rajbhasha Hindi in other states know English very well but deprive others from learning English and don't provide general knowledge through wiki projects via translation in Hindi

    Most Hindi states students get their education in two scripts while regional states students are given education in three scripts.Why?

    Why can't regional states students learn Hindi in India's simplest Nuktaa and Shirorekhaa free Gujarati script or in their state scripts ?

    Since Hamaari Boli /Hindustani doesn't have it's own script , it can be written in any easy script?
    See how easy it is to learn Gujanagari letters via English letters
    ડ/ટ…………….ક (k),ફ(F), ડ (d) , ઠ (th), હ (h), ટ (T), ઢ(dh), થ(th) પ(P), ય(Y) , ખ(kh), ષ(sh)

    R/2……… ….. ર(R), ચ (ch),સ(S), શ(sh), અ(A)

    C/4…………….ગ (g), ભ (bh),ઝ (Z), જ (J) ણ(N), બ(bh) લ(L), વ(V)

    દ …………..દ(D),ઘ(dh),ઘ(gh),ઈ(ee), ઈ(I,i), છ (chh)

    m………………મ(M)

    n……………….ન (n,N),ત(T,t)

    U………………ળ(r,l

    India needs simple script but Let the people of India decide what's good for them.

    Are there nuktaa in Sanskrit Script?

    http://www.omniglot.com/writing/sanskrit.htm

    See the Loan words in Hindi from Persian and Arabic.

    http://www.omniglot.com/writing/hindi.htm

    India's simplest script.

    http://www.omniglot.com/writing/gujarati.htm

    Thanks,
    saralhindi.wordpress.com

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