वैदिकि बलात्कार, बलात्कार न भवति


बात पुरानी। बस उदाहरण ताजा-ताजा। नई घटनाएँ पुरानी बातों को दोहराने के मौके दे देती हैं।

सितम्बर महीने का कोई एक दिन। घटनास्थल: राजस्थान का झालावाड़ कस्बा जो राजस्थान की पूर्व मुख्यमन्त्री वसुन्धरा राजे के संसदीय क्षेत्र का मुख्यालय भी है। इसी झालावाड़ में तीन मुसलमान युवकों ने एक हिन्दू लड़की से बलात्कार किया।

जैसा कि होना ही था, संघी-बजरंगी मैदान में आ गए। कानून की भोंगली कर रख लिया और दशा यह हो गई कि पुलिस को गोली तक चलानी पड़ गई। दोषियों को सजा मिलेगी जब मिलेगी लेकिन संघियों-बजरंगियों ने अपनी ओर से न्याय दान कर दिया। यह अलग बात है कि इस न्याय दान में कई हिन्दुओं को भी सम्पत्ति की हानि उठनी पड़ी। मामला अब न्यायालय में है।

हाँ, राजस्थान में सरकार काँग्रेस की है, इस तथ्य ने उत्साहवर्द्धन में आशा से अधिक सहयोग दिया।

सितम्बर महीने का ही एक ही और दिन। यह दिन, झालावाड़ की घटना के बाद का। घटना मध्य प्रदेश के मण्डला की। मण्डला जिला मुख्यालय है। मालूम हुआ कि कुछ महीनों पहले, डिप्टी कलेक्टर सीताराम प्रधान के बेटे और उसके कुछ (लगभग छः) मित्रों ने आदिवासी नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किया था। बलात्कार ही नहीं किया था, अपने इस वीरोचित कार्य की फिल्म भी बनाई और एमएमस भी बनाया।

घटना सितम्बर में उजागर हुई। बलात्कृत लड़की के परिजनों ने हल्ला-गुल्ला मचाया। उनके अलावा और कोई, कुछ नहीं बोला। संघियों-बजरंगियों का हिन्दू रक्त उबलना तो दूर रहा, उसमें कहने को भी गर्मी नहीं आई। अखबारों ने पहले तो समाचार और बाद में फालो-अप को यथेष्ठ स्थान दिया। किन्तु हिन्दू अस्मिता रक्षकों में से एक ने भी इसमें से कुछ भी नहीं पढ़ा। मानो सबके सब निरक्षर हो गए। मण्डला में पत्ता भी नहीं खड़का। किसी को बेचैनी नहीं हुई। सब कुछ सामान्य और सहज बना रहा।

डिप्टी कलेक्टर का बेटा फरार हो गया जिसे पकड़ने के लिए पुलिस को कई दिन लग गए। फरारी की अवधि में डिप्टी कलेक्टर का बेटा अपने हिन्दू मित्रों के सहयोग से बचा रहा।

पुलिस ने जब डिप्टी कलेक्टर के इस बेटे का कम्प्यूटर जाँचा तो पाया कि वह कम्प्यूटर अश्लील फिल्मों और चित्रों का समृद्ध संग्रहालय था।

यह मामला भी अब न्यायालय में हैं जैसे कि झालावाड़ का मामला है। हाँ, मध्य प्रदेश मे सरकार भाजपा की है। शायद इस कारण भी हिन्दू रक्त में सिहरन भी नहीं हुई।

निष्कर्ष - नया कुछ नहीं। वह पुराना कि हे! विधर्मियों हिन्दू बच्चियों, किशोरियों, स्त्रियों की ओर बुरी नजर से देखने की, उनसे बलात्कार की जुर्रत कभी मत करना। ऐसा कुछ किया तो तुम्हारी खैर नहीं। हिन्दू अस्मिता के, तुम्हारे इस दुष्कर्म के विरुद्ध हम किसी भी हद तक चले जाएँगे।

याद रखो! इनके साथ दुराचार, बलात्कार करना हम हिन्दुओं का ही अधिकार है। यह सब, हम हिन्दू ही करेंगे। और यदि प्रदेश में हमारी ही सरकार हुई तो हम ऐसा करनेवाले हिन्दुओं के विरुद्ध कुछ करना तो दूर रहा, उनकी तरफ आँख उठाकर भी नहीं देखेंगे, उनका नाम भी नहीं लेंगे। यही हमारा हिन्दुत्व है और यही हमारी, 'हिन्दू अस्मिता रक्षा' की परिभाषा भी।

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7 comments:

  1. मानवता के विरुद्ध कोई भी अपराध कडाई से निबटा जाना चाहिये। अपराधी तो ठाली के बैंगन हैं धर्म उनके लिये एक ओट से ज़्यादा कुछ भी नहीं है।

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  2. अमानवीय कार्यों के लिये मानक एक ही है।

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  3. ये घटना यदि किसी हिन्दू लड़की के साथ हुए होती तो भी आवाज उठती पर आदिवासियों को तो मनुष्य ही नहीं समझा जाता है. जो
    स्थिति चल रही है उसका परिणाम कही अमेरिका के आदिवासियों जैसी न हो जाये जहाँ वे केवल प्रदर्शन की वस्तु रह गए है.

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  4. घटना कहीं की भी हो, बलात्कार एक जघन्नीय पाप है॥

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  5. दोषियो को हमेशा सजा मिलनी चाहिये, ओर जनता को आवाज उठानी चाहिये ना कि इन कमीने नेताओ के कहने से शोर मचाना चाहिये, बाकी अगर इन नेताओ की या इस कमिशनर की बेती से यह सब होता तो....., भगवान किसी भी बच्ची के संग ऎसा ना होने दे, लेकिन बलातकार तो बलात्कार हे, फ़िर दोषी कोई भी हो उसे सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिये, धन्यवाद इस दुखद समाचार को हम तक पहुचाने ओर इन सब को बेनाक करने के लिये

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  6. याद रखो! इनके साथ दुराचार, बलात्कार करना हम हिन्दुओं का ही अधिकार है। यह सब, हम हिन्दू ही करेंगे। और यदि प्रदेश में हमारी ही सरकार हुई तो हम ऐसा करनेवाले हिन्दुओं के विरुद्ध कुछ करना तो दूर रहा, उनकी तरफ आँख उठाकर भी नहीं देखेंगे, उनका नाम भी नहीं लेंगे। यही हमारा हिन्दुत्व है और यही हमारी, 'हिन्दू अस्मिता रक्षा' की परिभाषा भी।

    हमारी सोच सदा एकांगी रही है गलत कम को प्रश्रय की प्रवृति .

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  7. आपके अनुसार आदर्श स्थिति कौन सी होती?
    कटाक्ष रूप में ही सही, बलात्कार जैसे जघन्य अपराध को वैदिक रंग देने पर मेरा विरोध दर्ज करें| वैसे भी संघी-बजरंगी वेदों के एकाधिकार स्वामित्व वाले नहीं हैं, हाँ, अपनी धर्मनिरपेक्षता सिद्ध करने के लिए इन्हें गरियाना सेक्यूलर लोगों के लिए सबसे आसान और सहज उपाय है|
    दो साल पुरानी पोस्ट है, लेकिन मैंने आज ही देखी है| अपनी शेष प्रतिक्रिया शाम को ऑफिस से लौटकर दूंगा|

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